जानिये मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी क्या है, लक्षण और इलाज

क्या आपको पता है की हमारे शरीर में कितने प्रकार की बीमारियाँ होतीं हैं, जबाब है नहीं. हमें तो आधे से ज्यादा बीमारियां पता ही नहीं है . आज की पोस्ट में ऐसी ही एक बीमारी के बार में बात करने वाले हैं जिसका नाम है मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (Muscular Dystrophy) इसे शॉर्ट फॉर्म में डीएमडी DMD भी कहते हैं. इस पोस्ट में आपको ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी क्या है, लक्षण और इलाज और मस्कुलर डिस्ट्रॉफी कितने प्रकार की होती है? की फुल जानकारी दी जायेगी जिसे आप ध्यान से पढ़ें.

कुछ दिन पहले की बात है जब एक लड़का जो की 10th क्लास में था और उसने तीन पेपर दिए जिसमें उसको संस्कृत में 97, अंग्रेजी में 100 और विज्ञान में 96 नंबर आये. इसके बाद बाकी के पेपर वो नहीं दे पाया और उसका देहांत हो गया क्योंकि ये बच्चा ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी से पीढ़ित था. यह एक भयंकर बीमारी है जो किसी भी बच्चे की जान तक ले सकती है. इसका नॉलेज आपको होना जरूरी है.

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी क्या है?

पहले तो सीधे शब्दों में कहें तो यह एक पारंपरिक यानी अनुवांशिक बीमारी है जो किसी भी उम्र में किसी को भी हो सकती है. इसमें रोगी के शरीर की मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं जिससे वो एक सामान्य जीवम नहीं जी सकता है.

maskular distrafi kya hai

डीएमडी यानी मस्कुलर डिस्ट्रॉफी लगभग 80 बीमारियों का एक समूह होता है जिसमे विभिन्न प्रकार की खतरनाक बीमारियां शामिल हैं तथा ये समय के साथ बढती जाने के साथ साथ घातक भी होति जाति है. यदि कोई इस बीमारी को हल्के में लेता है तो वो बहुत बड़ी गलती करता है क्योंकि समय से इलाज न होने के कारण मरीज जान खो सकता है.

DND बीमारी अनुवांशिक बीमारी है जो कि बच्चों में पायी जाती है. मस्कुलर डिस्ट्राफी में ऐसे असामान्य जीव जो मांसपेशियों की प्रगति को रोकतीं हैं. जो प्रोटीन शरीर के लिए जरूरी है वो मांसपेशियों में इनके कारण पहुँच ही नहीं पता है जिससे दिन पर दिन बच्चा कमजोर होने लगता है. 

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी कितने प्रकार की होती है?

मस्कुलर डिस्ट्राफी एक ऐसी बीमारी है जोमांसपेशियन कमजोर कर देती है. यह बहुत प्रकार की होती है और उम्र के हिसाब से भी इसके कई प्रकार हैं. जैसा की में पहले ही बता चूका हूँ की ये बीमारी कई प्रकार की होती है और बच्चे के बचपन से कुछ लक्षण दिखाई देने लगते हैं खासकर लड़कों में. आपको बता दें कि लगभग 35000-40000 हजार बच्चों में से किसी एक बच्चे को मस्कुलर डिस्ट्राफी होती है. 

ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी - यह प्रकार इस बीमारी का एक आम रूप है. इस बीमारी के प्रकार का असर सबसे ज्यादा लड़कों पर पढ़ता है, लड़कियों की अपेक्षा.

बेकर मस्कुलर डिस्ट्रॉफी - इस बीमारी का यह प्रकार बिलकुल ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के सामान होता है जिसके लक्षण और संकेत सेम होते हैं. फर्क सिर्फ इतना है की इस प्रकार में बीमारी थोड़ी हलकी होती है एवं उम्र के साथ साथ बढती है. बचपन में शुरू होती है और 20 वर्ष की आयु तक अपना रूप ले लेती है.

ओकुलोफेरीन्जियल मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (OPMD) - मस्कुलर डिस्ट्राफी के इस प्रकार में रोगी के गर्दन, चहरे और कंधे की मांसपेशियां कमजोर हो जातीं हैं.

डिस्टल मस्कुलर डिस्ट्रॉफी - इस प्रक्कर को डिस्टल मायोपैथी भी कहा जाता है जिसमें रोगी के हाथ, पैर, कंधे और कूल्हे की मांसपेशियां बहुत ज्यादा प्रभावित होतीं हैं.  इसमें छह से ज्यादा बीमारियां एक समूह में होतीं हैं.

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी के लक्षण

जैसा की आपको पता ही है कि यह कई बीमारियों का एक समूह है तो में आपको ऊपर दिए हुए प्रकार के हिसाब से अलग अलग लक्षण बताने वाला हूँ.

ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के लक्षण

  1. बार बार गिर जाना
  2. यदि आप बैठे या लेटे हैं तो उठाने में कठिनाई होना
  3. दौड़ाने और कूदने में परेशानी का होना
  4. सही ढंग से न चलपाना यानी डगमगाना
  5. पैर सही से न जमा पाना 
  6. पैरों और पिढ़लियों का बढ़ जाना
  7. मांसपेशियों में दर्द और जकड़न
  8. सीखने एवम वृद्धि और कद बढ़ने की  समस्याएँ आदि इसके मुख्य लक्षण हैं

बेकर मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के लक्षण

इस प्रकार की मस्कुलर डिस्ट्राफी में जो लक्षण होते हैं वे सेम ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के लक्षणों के समान होते हैं. इसमें थोड़ा सा ये फर्क है की बेकर मस्कुलर डिस्ट्रॉफी में ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी की अपेक्षा लक्षण थोड़े हलके होते हैं पर समय के साथ आगे बढ़ाते हैं.

ओकुलोफेरीन्जियल मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के लक्षण

  1. पलकों का झुक जाना.
  2. नज़रों का कमजोर होना
  3. खाने-पीने को निगलने में परेशानी होना
  4. आवाज का बदल जाना
  5. ह्रदय से सम्बंधित समस्याएं
  6. चलने फिरने में परेशानी होना

डिस्टल मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के लक्षण

  1. श्वसन तंत्र और हृदय की मांसपेशियों में परिवर्तन.
  2. आगरा भुजाओं की मांसपेशियां में दर्द या कमजोरी
  3. हाथ की मांसपेशियां कमजोर होने
  4. पैर की पिंडलियाँ में दर्द और कमजोरी
  5. पैर की मांसपेशियों में कमजोरी आदि

किन कारणों से होती है मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी ?

मस्कुलर डिस्ट्राफी का मुख्या कारण जीन में अंतर का होना है. ज्यादातर केश तब आते हैं जब माता पिता दोनों में से एक या दोनों के दोषपूर्ण जीन से आती है. जीन जो कि विकास के लिए जरूरी होते हैं उनमें वाधा उत्पन्न होने की वजह से इस बीमारी का विकास होता है.

ऐसे प्रोटीन जो की मांसपेशियों की अखंडता को निर्धारित करते हैं जिसके लिए हज़ारों जीन्स जिम्मेदार होते हैं. हर इंसान के पास 23 जोधी जीन होते हैं और इनमें से आधे इंसान को अपने माँ-बाप से मिलते हैं. इनमे से एक जीन लिंग से जुड़ा होता है. इस एक जीन के कारण होने वाली इस बीमारी का कारण आपके माता पिता के लिंग पर भी निर्भर करता है. बाकी बचे 22 जोड़े का लिंग या सेक्स से कोई लेना देना नहीं होता है.

ऐसे लोग या बच्चे जिनके शरीर जो डायस्ट्रोफिन नामक प्रोटीन नहीं बना पाते हैं या फिर काम बनाते हैं या फिर सही से नहीं बना पाते हैं उन लोगों में इस बीमारी का शिकार होने से कोई नहीं रोक सकता है. दूसरे शब्दों में कहें तो डायस्ट्रोफिन प्रोटीन की कमी भी मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी का कारण बनती है.

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी का इलाज कैसे किया जाता है

मस्कुलर डिस्ट्राफी के मरीज का इलाज सबसे पहले एक अनुभवी डॉक्टर उसके इतिहास और शरीर के जांच के हिसाब से शुरू करता है. सबसे पहले आपका डाँक्टर आपको नीचे दिए गए जांचों के लिए कहेगा.

  1. एंजाइम की जांच 
  2. आनुवांशिकता की जांच 
  3. हार्ट मॉनीटरिंग टेस्ट 
  4. फेंफड़ो की मॉनिटरिंग टेस्ट 
  5. इलेक्ट्रोमोग्राफी
  6. स्नायु बायोप्सी जांच आदि की आदेश दिए जाते हैं.

ये सभी जांच जब डाकटर देख लेता है तो आपको नीचे दी गई दवाइयां लिखता है. ये दवाएं जांच के नमूनों के आधार पर दी जाती हैं.

मस्कुलर डिस्ट्राफी के इलाज में दी जाने वाली दवाएं

खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने इस बीमारी से निपटने के लिए कुछ लोगों की जांच के आधार पर थोड़ी बहुत दवाइयों को मंजूरी दी है जो की क्रम से नीचे दी हुई हैं.

एटेप्लिर्सन (एक्सोनडिस 51) - मस्कुलर डिस्ट्राफी के लगभग सभी मामलों में ये दवाई दी जाती है पर बिना डाँक्टर की सलाह के ये दवा न लें क्योंकि हर रोगी का मामला अलग हो सकता है.

गोलोडिरसेन (व्योंडिस 53) - एमडी रोगियों के लिए भी डाँक्टर इसी दवा को प्रेफर करते हैं पर केवल 8% मरीजों के लिए इस दवा की अनुमति दी गई है.

विल्टोलरसेन (विल्टेप्सो) - ये दवा ऐसे रोगियों के लिए दी जाती है जिनमे Duchenne मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (DMD) के लक्षण होते हैं

डिफ्लैजाकोर्ट (एम्फलाजा) - जिनके चेहरे या  शरीर पर सूजन होने, गंभीर एलर्जी का होना, एलर्जिक विकार, श्वास-रोग, कैंसर रोग, रूमेटिक रोग, त्वचा संबंधी रोग और नेत्र रोग में किया जाता है.

वैसे यदि बात करें एमडी के इलाज की तो फिलहाल वर्तमान में इसका कोई पक्का इलाज नहीं है. दी गई इन सभी दवाओं से केवल इसको कंट्रोल किया जा सकता है. रोगी को किस हद तक मस्कुलर डिस्ट्राफी  है इलाज इस बात पर ज्यादा निर्भर करता है.

निष्कर्ष

जैसा की मेने आपको मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी के बारे में शुरू से लेकर अंत तक सब बता दिया गया है. यदि आपके फेमली या आसपास ऐसा कोई रोगी है तो उसकी सलाह के बिना कोई भी दवा न लें. ये पोस्ट सिर्फ जानकारी ले लिए है.

Prashant Dubey

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