ध्वनि प्रदूषण क्या है, कैसे होता है, कितने प्रकार का होता है एवं इससे कैसे बचें

ध्वनि प्रदूषण: एक चुपके से मारती आवाज़ यानी शोर-शराबा इतना बढ़ गया है की इसने लोगों की नाक में दम कर रखा है. आपको जानकर हैरानी होगी की ध्वनि प्रदूषण जानलेवा भी हो सकता है. आपको शायद पता नहीं होगा कि वायु प्रदुषण से ज्यादा खतरनाक अब ध्वनि प्रदुषण हो गया है. ये में नहीं बल्कि शोधकर्ताओं का कहना है

इस नए ब्लॉग पोस्ट में आप सभी का स्वागत है! आज हम आपको ध्वनि प्रदूषण क्या है, कैसे होता है, कितने प्रकार का होता है एवं इससे कैसे बचें के बारे में बताएंगे जो आपके आस-पास के वातावरण माहौल में एक चिंता का विषय बन गया है. हम इस लेख में इसी विषय पर बात करेंगे और ध्वनि प्रदूषण से कैसे बचा जा सकता है उसके बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे.

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ध्वनि प्रदूषण क्या है, कैसे होता है, कितने प्रकार का होता है एवं इससे कैसे बचें

हम सभी जानते हैं कि ध्वनि हमारे जीवन का महत्वपूर्ण अंग है. हम इसके माध्यम से बातचीत करते हैं, संगीत सुनते हैं, टीवी देखते हैं और अपने दैनिक जीवन की कई गतिविधियों को नियंत्रित करते हैं एवं ध्वनि से ही हम एक दूसरे को अपनी बहत समझा पाते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि अतिरिक्त और अनावश्यक ध्वनि से हमारे स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है?

ध्वनि प्रदूषण क्या है?

ध्वनि प्रदूषण को हम उन अतिरिक्त ध्वनियों के रूप में परिभाषित कर सकते हैं जो हमारे पास्ट और वर्तमान समय में मौजूद हैं और इस प्रकार की ध्वनि हमारे स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव डाल सकती हैं. यह प्रदूषण कई स्थानों पर पाया जाता है, जैसे कि सड़कों पर ट्रैफिक की गड़गड़ाहट, औद्योगिक क्षेत्रों में मशीनरी आदि की आवाज़, कमर्शियल स्थानों में शोर क्रियाएं और घरों में अनवांटेड संगीत या चीखना-चिल्लाना.

यदि इस बात पर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो आपको कई शारीरिक हानि होने का खतरा है. ये इंसान की लगातार उम्र को कम कर रहा है. यदि एक लाइन में ध्वनि प्रदुषण को परिभाषित करें तो वेवजह का शोरषराब जो इंसान के कानों को चुभे, उसे ध्वनि प्रदुषण कहते हैं.

ध्वनि प्रदूषण कितने प्रकार का होता है?

ध्वनि प्रदूषण के कई प्रकार हो सकते हैं, जैसे वातावरणिक, सामाजिक, और यातायात से संबंधित प्रदूषण. वातावरणिक प्रदूषण में ऊंचे स्तर पर फालतू का शोर प्रदूषण शामिल होता है, जबकि सामाजिक प्रदूषण में अनवांटेड संगीत, पारिवारिक मकान और सरकारी-प्राइवेट कार्यालयों में अनावश्यक गपशप आदि.

यातायात से संबंधित प्रदूषण में उच्च ट्रैफिक वाहनों से निकलने वाला शोर, सड़कों पर निर्माण कार्यों के दौरान उत्पन्न ध्वनि, और उच्च स्पीड ट्रेनों द्वारा उत्पन्न ध्वनि शामिल हैं. 

आज कल सबसे ज्यादा ध्वनि प्रदुषण फ़ैलाने में शादी विवाह या नया कार्यक्रमों में बजने वाला डीजे जिम्मेदार है. इससे बहुत तेज और कानों को चुभने वाली ध्वनि उत्पन्न होती है जो कानों के साथ साथ शरीर के लिए भी हानिकारक है.

ध्वनि प्रदूषण से कैसे बचें?

इस चुनौतीपूर्ण परिस्थिति से बचने के लिए, हमें अपने आस-पास के वातावरण को स्वच्छ और शांत रखने की जरूरत है. यहां कुछ सरल उपाय हैं जो आपको ध्वनि प्रदूषण से बचाने में मदद कर सकते हैं:

1. अपने घर और कार्यस्थल में ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाले कार्यों को कम करें जैसे कि ज्यादा शोर करने वाले यंत्र. यह शोर करती या उच्च ध्वनि उत्पन्न करती चीजों को रोकेगा, पुराने वाहन या संगीत सिस्टम DJ को ऊंची आवाज में न चलाएं.

2. ध्वनि नियंत्रण के लिए अपने घर और आसपास के क्षेत्र को संगीत की ऊंची आवाज से दूर रखें. संगीत या टीवी को कम आवाज में  सुनने का प्रयास करें और अनावश्यक शोरगुल और चीखना-चिल्लाना कम करें.

3. शोर शराबे वाले संवेदनशील क्षेत्रों से दूरी बनाए रखें. यदि आपके घर के आस-पास शोरीय इलाके हैं, तो आप उच्च ध्वनि स्तर के बारे में सतर्क रहें और ऐसे स्थानों से दूर रहने का प्रयास करें.

5. शोर निवारक सामग्री का उपयोग करें. शोर को कम करने के लिए शोर निवारक सामग्री जैसे कि शोर प्रतिरोधी आवाज कम करने वाले इयरप्लग्स, शोर निवारक जाल या आवाज अवशोषक पैनल का उपयोग करें. जैसे किसी टाकिज में अंदर कितना शोर होता है पर बाहर बिलकुल आवाज नहीं आती है.

6. सार्वजनिक स्थानों में ध्वनि संरक्षण के नियमों का पालन अवश्य करें. यदि आप ऐसे किसी सार्वजनिक स्थान पर हैं जहां शोर की समस्या हो सकती है, तो यह सुनिश्चित करें कि की आपके द्वारा शोर नियंत्रण के नियमों का पालन किया जाता है. जब सभी लोग ध्यान रखेंगे तो एक दिन ध्वनि प्रदुषण जड़ से ख़त्म हो जायेगा.

7. नियमित योग और मेडिटेशन का अभ्यास करें. योग और मेडिटेशन शोर को कम करने में मदद करते हैं और मानसिक शांति प्रदान करते हैं. 

यह सभी उपाय आपको ध्वनि प्रदूषण से बचने में मदद करेंगे और आपके स्वास्थ्य को सुरक्षित रखेंगे. हमारे आसपास के वातावरण का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है ताकि हम स्वस्थ और प्रगतिशील जीवन जी सकें.

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ध्वनि प्रदूषण सेहत के लिए कैसे हानिकारक है?

आपको जानकर हैरानी होगी की रात में होने वाला शोर दिन के शोर से ज्यादा बेकार है ऐसा एक शोध में पाया गया है. यदि रात के शोर से आपकी नींद टूट जाती है और आपको याद नहीं होता है की किस आवाज से नींद टूटी है तो आपका दिमाग प्रतिक्रिया करता है और तनाव में आ जाता है.

ध्वनि विशेज्ञों के अनुसार रात में आपके सोने वाले कमरे के अंदर 30 डेसिमल से ज्यादा शोर नहीं होना चाहिए और कमरे के बहार 40 डेसिमल से तेज आवाज नहीं होना चाहिए. यदि ये पैरामीटर फोलो नहीं होते हैं तो कहीं न कहीं शरीर हो हानि होती है.

ध्वनि प्रदूषण से होने वाली बीमारियां

जिन तेज आवाजों से इंसानी नींद ख़राब होती है ऐसी आवाज को क्रोनिक साउंड्स कहा जाता है. इस प्रकार के साउंड्स से इंसानी दिमाग में टेंशन पैदा होती है एवं दिल से सम्बंधित बीमारी होने के चांस बढ़ जाते हैं. 

जो लोग ऐसी जगह पर रहते हैं जंहा ज्यादा ट्रैफिक होता है या सड़क के किनारे, रेल की पटरी के किनारे रहते हैं उनको इस प्रकार की आवाजों की आदत बन जाती है जिसकी बजह से उनको का परेशानी होती है पर जिनको इस तरह की आवाजों की आदत नहीं है जैसे गाँव में रहने वाले या शहर से बाहर रहने वाले लोगों को ये आवाजें ज्यादा परेशान करतीं है और उनका शरीर प्रतिक्रिया करता है.

ध्वनि प्रदूषण से शरीर में बनते हैं कई केमिकल्स

  • असहनीय और तेज आवाजों से मानव शारीर में कई तरह के केमिकल्स रिलीज होते हैं जिससे मानव का नर्वस सिस्टम प्रभवित होता है जो दिल की धड़कन को प्रभावित करता है जिसके फल स्वरूप बीपी बढ़ या घट जाता है.
  • आप माने या नहीं पर जो लोग ट्रैफिक में ज्यादा समय बिताते हैं उनको 5 साल में दिल का दौरा पड़ने का खतरा ज्यादा होता है.
  • रिसर्च के मुताबिक़ 53 डेसिमल से ज्यादा का शोर शराबा और 45 डेसिमल आवाज वाला प्लान किसी भी इंसान को बीमार करने के लिए काफी है.

निष्कर्ष

आशा है कि ध्वनि प्रदूषण क्या है, कैसे होता है, कितने प्रकार का होता है एवं इससे कैसे बचें जानकारी आपके लिए मददगार साबित होगी. ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए अपनी योजना में इन सुझावों को शामिल करें और स्वस्थ और शांतिपूर्ण जीवन का आनंद लें.

Prashant Dubey

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